अपनी काबिलियत के दम पर बेटियां आज हर क्षेत्र में अपना नाम रौशन कर रही है। जमीन से लेकर आसमान तक अब बेटियों ने अपने पंख फैला दिए हैं। हरियाण के करनाल से कल्पना चावला के बाद अब एक बेटी ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी है। इद्री निवासी सुरभि का चयन इसरो में हो गया है। बेटी के इस उपलब्धि से माता-पिता गर्व महसूस कर रहे। रिजल्ट के बाद सुरभि के घर में में बधाई देने वाले लोगों का तांता लग गया था।
इसरो तक पहुंचने का सफर

सुरभि ने वाईएससी यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन में बीटेक की डिग्री पूरी की है। इसके बाद सुरभि गेट परीक्षा की तैयारी में जुट गई थी। हालांकि सुरभि ने इसके दौरान आईटी कंपनी टीसीएस में नौकरी भी की। फिर बीएसएनएल में चयन होने के बाद जेई पोस्ट पर भी काम किया। लेकिन सुरभि अपने काम से कभी संतुष्ट नहीं हो पाई थी। उनके सपने कुछ और ही थे। सुरभि ने बताया कि जब इसरो ने एक साथ 100 सैटेलाइट लांच किए थे उस वक्त से ही उन्हे इसरो में काम करने की इच्छा थी। सुरभि ने फिर इसरो की प्रतियोगिता परीक्षा में हिस्सा लिया और ऑल इंडिया में 8 वां रैंक हासिल किया। जिसके बाद सुरभि का चयन एक वैज्ञानिक के तौर पर इसरो में हो गया।
इसरो की परिक्षा में 8वी रैंक प्राप्त करके हरियाणा की बेटी सुरभि वैज्ञानिक बनी। pic.twitter.com/BJ3mOBiRrG
— sanatanpath (@sanatanpath) December 26, 2021
माता-पिता को था पूरा विश्वास
सुरभि के माता-पिता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हे अपनी बेटी पर पूरा विश्वास था। उन्होने कहा कि जिस तरह से उनकी बेटी मेहनत करती थी उसे सफलता जरुर ही मिलती। और आज उसके मेहनत, जज्बे और लग्न से उसका चयन वैज्ञानिक के तौर पर इसरो में हो गया। सुरभि बी अपने सफलता के पीछे अपने माता-पिता और अभिभावकों के आर्शीवाद को बताती हैं।
हरियाणा की बेटी सुरभि का इसरो में चयन हुआ, बधाई pic.twitter.com/ZElguFnTRd
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कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला
कल्पना चावला ने इससे पहले अंतरिक्ष में जाकर सभी को गौरवान्वित किया था। हालांकि पृथ्वी पर वापस लौटते वक्त दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। कल्पना चावला ने 16 जनवरी 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया से अंतरिक्ष में दूसरी बार उड़ान भरी थी। 1 फरवरी 2003 को मिशन के बाद पृथ्वी प आने के दौरान उनका यान दुर्घटना का शिकार हो गया। उनके साथ 6 और सदस्यों की मौत हो गई थी। बता दें कल्पना ने 1995 में अमेरिका के अंतरिक्ष एजेंसी नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई थी। 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था।