अगर आप किसी चीज में हारते हैं तो आपको कोशिश नही छोड़नी चाहिए। एक कोशिश ही है जो आपको जीतना सिखाता है। कोशिश करते रहने से एक न एक दिन इंसान सफल जरूर होता है।
आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान रामचंद्र अग्रवाल जी के बारे में बताएंगे जिन्होंने हार नही मानी। आज रामचंद्र अग्रवाल वी2 के संस्थापक है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
बचपन से थे दिव्यांग
रामचंद्र अग्रवाल बचपन से ही दिव्यांग थे। दिव्यांग होने के कारण वो वैशाखी के सहारे चल पाते थे। इसके बावजूद भी इन्होंने कभी ख़ुद को किसी काम के लिए असमर्थ नहीं समझा और बहुत ही छोटे बिजनेस से अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत की। रामचंद्र अग्रवाल ने कोलकाता से अपनी पढ़ाई पूरी की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1986 में रामचंद्र ने दूसरों से कुछ रुपए उधार लिए और खुद की एक फोटोस्टेट की दुकान खोली।
कुछ बड़ा करने की सोची
रामचंद्र जी ने सोचा क्यों ना कुछ और बड़ा किया जाए। तब उन्होंने एक कपड़े के छोटे से बिजनेस को शुरू किया। रामचंद्र अग्रवाल ने करीब 15 सालों तक कोलकाता में कपड़ों का बिज़नेस किया। लेकिन वो हमेशा से कुछ बड़ा करना चाहते थे। इसलिए वो कोलकाता की अपनी दुकान को बंद करके दिल्ली चले गए। दिल्ली में उन्होंने साल 2001 में विशाल रिटेल नाम से एक खुदरा बिज़नेस शुरु किया। धीरे-धीरे उनका यह बिज़नेस बहुत तरक्की करने लगा।
विशाल मेगा मार्ट में तब्दील
देखते ही देखते इनका विशाल रिटेल विशाल मेगा मार्ट में तब्दील हो गया। जिसके बाद रामचंद्र अग्रवाल की कंपनी विशाल मेगा मार्ट का नाम शेयर बाज़ार में भी शामिल हो गया। लेकिन साल 2008 रामचंद्र के लिए अच्छा साबित नहीं हुई। शेयर बाज़ार में गिरावट के कारण उनकी कंपनी विशाल मेगा मार्ट पूरी तरह से डूब ग और वो कर्ज के नीचे दब गए। जिसके कारण उन्हें अपनी कंपनी को श्री राम ग्रुप के हाथों बेचना पड़ा।
रामचंद्र जी ने हार नही मानी
उन्होंने बहुत जल्द ही अपनी दूसरी कंपनी V-2 की शुरुआत की। आज उनकी कपनी V-2 देश के अलग-अलग शहरों में भी स्थापित हो चुकी है। आज के समय में V-2 एक बहुत बड़ी कंपनी में शुमार है। पूरे देश भर के 32 शहरों में इसके ख़ुद के आउटलेट हैं और यह सारे बहुत ही मुनाफा कमा रहे हैं।
दिव्यांग होने के बाद भी रामचंद्र अग्रवाल ने कभी हार नही मानी।आज उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बेटा बड़ा आदमी बने और खूब तरक्की करे। हर समय अपने संतान को दुआ एक माता-पिता ही देते हैं।