“मुसीबत से तू ज्यादा डर या खौफ ना रख,
तू जीतेगा ज़रूर एक दिन बस आज हौंसला रख”।
इस बात को सिद्ध करने का काम किया है। पेप्सिको कंपनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ रहीं श्रीमती इंद्रा कृष्णमूर्ति नूई ने। जिन्होंने अपने हौसलों और अपनी मेहनत के दम पर पहली भारतीय महिला सीईओ बनने का गौरव प्राप्त किया है। आइए जानते हैं उनके सफलता के बारे में।
इंद्रा के सपने बड़े थे
श्रीमती इंद्रा कृष्णमूर्ति का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मीं थी। उनके पिता एक सामान्य नौकरी करते थे। इंद्रा नूई के सपने बचपन से ही बहुत बड़े थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास में हुई। जिसके बाद उन्होंने 1974 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और भारतीय प्रबंध संस्थान, कोलकाता से 1976 में मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री प्राप्त की।
पढ़ाई के साथ नौकरी
1978 में श्रीमती इंद्रा नूई ने येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में दाखिला लिया था। यहां से 1980 में सार्वजनिक व निजी प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। नूई जब येल में पढ़ रही थीं तो उन्होंने नाइट शिफ्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर भी काम किया। वो पढ़ाई के साथ- साथ रिसेप्शनिस्ट का काम भी करती थीं।
कपड़े नही थे इंद्रा के पास
अमेरिका में जब पहली बार जॉब इंटरव्यू देने जा रही थीं तो उनके पास कोई बिज़नेस सूट नहीं था। उन्होंने 50 डॉलर एक सूट पर खर्च कर दिए। इंटरव्यू वाले दिन नूई ने देखा कि उनकी जैकेट काफी बड़ी है और स्लैक्स थोड़ी छोटी है। इंटरव्यू वाली जगह पर सब नूई को देखकर हंस रहे थे, जो काफी शर्मिंदा करने वाला था। नूई का इंटरव्यू तो ठीक गया लेकिन वह अपने पहनावे से आहत और निराश थीं।
कुछ इस तरह कैरियर की शुरुआत
श्रीमती इंद्रा नूई ने समर इंटर्नशिप के जरिए बॉम्बे में परमाणु ऊर्जा विभाग में काम किया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अपना करियर ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ के साथ शुरू किया और प्रोडक्ट मेनेजर के तौर पर कंपनी को अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने मुंबई में एक कपड़ा कंपनी के साथ भी नौकरी की। उन्होंने बूज एलेन हैमिलटन में भी इंटर्नशिप की थी। साल 1980 में येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद वह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में शामिल हुईं।
पेप्सिको की सीईओ बनीं
साल 1994 में श्रीमती इंद्रा नूई ने पेप्सिको कंपनी के साथ कॉरपोरेट स्ट्रैटेजी व डेवलपमेंट की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर जुड़ीं। जब उन्होंने पेप्सिको को जॉइन किया, उस वक्त अमेरिका की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक में भी महिला सीईओ नहीं थी। साल 2001 में उन्हें कंपनी का सीएफओ बनाया गया और पांच साल बाद यानी 2006 में वह कंपनी की चेयरमैन व सीईओ बन गईं। साथ ही एक फॉर्च्यून 50 कंपनी चलाने वाली पहली अश्वेत महिला थीं। साल 2018 में उन्होंने CEO के पद को छोड़ अमेजॉन कंपनी में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जाने का फैसला किया था।
कई सम्मानों से सम्मानित
श्रीमती इंद्रा नूई दुनिया की बेहतरीन सीईओ में गिनी जाती हैं। नूई को कई सारी पत्रिकाओं की प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया जा चुका है। 2014 में फोर्ब्स की विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में नूई को 13वां स्थान मिला था। साल 2015 में फॉर्च्यून ने सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में इंद्रा नूई को दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का स्थान दिया था। भारत सरकार ने साल 2007 में श्रीमती इंद्रा नूई को देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा था।
आज वह लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।