55 वर्षीय जगदीश चंद्र कुनियाल ने पिछले 30 सालों में लगभग 15000 पेड़-पौधे लगाकर, गाँव के पुराने झरने को एक बार फिर से जीवित कर दिया

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पेड़ो का महत्व हमारे जीवन में कई मायनों से महत्वपूर्ण है, पेड़ हमें कई तरह से फायदा पहुँचाते है। पेड़ हमे प्राणवायु देते है, पर्यावरण को शुद्ध बनाते है। पेड़ वर्षा कराने में और रेगिस्तान रोकने में सहायक होते है ।पेड़ो से हरियाली फैलती है, पक्षियों को आसरा मिलता है और सभी को छाया मिलती है। इस तरह पेड़ का विशेष महत्व है। आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे है जो 30 सालों तक पौधे लगाते रहे। उन्होंने अपने गाँव के सूखे झरने को भी जीवित कर दिया । आइये जानते है उनके बारे में।

जगदीश चंद्र कुनियाल का परिचय ।

जगदीश चंद्र कुनियाल उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सिरकोट गाँव के रहने वाले है। उनकी आयु 55 वर्ष है। उत्तराखंड के इस शख्स ने अपने गाँव के एक पुराने झरने को नयी जिंदगी दी है। आज उनके प्रयासों से, यह झरना सैकड़ों परिवारों की जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बना हुआ है। जगदीश चंद्र कुनियाल ने पेडों की महत्ता को समझते हुए लगातार पेड़ लगाए और सूखे पड़े झड़ने को जीवित कर दिया।

चिपको आंदोलन से थे प्रभावित।

जगदीश चिपको आंदोलन से काफी प्रभावित थे। उन्हें लगातार जल संकट के घने बादल मंडराते हुए नजर आ रहा था ।लगातार पेड़-पौधों की कटाई से, जंगल कम होने लगे थे और इसका सीधा असर भूजल स्तर पर पड़ा थम जैस-जैसे भूजल स्तर कम हुआ, इस तरह के प्राकृतिक झरने भी सूखने लगे।

पौधारोपण करना शुरू किया।

उन्होंने अपने क्षेत्र में जहाँ-जहाँ पेड़ की कटाई हुई थी वहाँ पौधारोपण करना शुरू किया। उन्होंने खूब पेड़ लगाए। कुछ पेड़ लगे तो कुछ सुख भी गए ।कुछ पेड़ो को जानवर भी खा जाते थे। उन्होंने अपना तरीके को बदलने को सोचा।

चाय का बगान लगाना शुरू किया।

जगदीश चंद्र ने अपने तरीके में बदलाव लाकर उन्होंने झरने के किनारे चाय के बगान लगाने शुरू किए। इस बगान को नुकसान कम था क्योंकि यहाँ जानवरों के आतंक से भी बचा जा सकता था । जगदीश और अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाते रहे और इनकी पूरी देखभाल भी करते रहे।

जलस्तर में वृद्धि।

जगदीश के किए गए काम से जंगलों में वृद्धि होने लगी ।पेड़-पौधे के लग जाने से जैसे-जैसे इलाके में जंगल बढ़ा, वैसे-वैसे भूजल स्तर भी बढ़ा। जो झरने सुख गए थे सहसा उसमे भी पानी आने लगा ।लोगों के खुशी का ठीकाना नही था ।अब लोग समझ चुके थे कि जगदीश द्वारा किए गए म्हणतबके कारण ही आज जल उन तक पहुँचा है।

15 हजार पेड़ लगा चुके हैं जगदीश।

पिछले 30 सालों में,जगदीश अपने गाँव में लगभग 15 हजार पेड़ लगा चुके हैं। जगदीश हर बरसात में भरपूर पेड़ लगाते है। कुछ पेड़ सूखते भी है पर वो हिम्मत नही हारते। आसपास के गांव में जगदीश की खूब प्रशंसा होती है । वह अपने पैसे से पेड़ खरीदते है और उसको लगाते है ।इस कार्य में वह किसी की कोई मदद नही लेते ।

प्रधानमंत्री ने भी की है जगदीश की सराहना ।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जगदीश की सराहना की जा चुकी है। प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में जगदीश की सराहना की है। जगदीश से सभी लोगों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। पेड़ के महत्व को हमें भी समझना चाहिए। भविष्य में आने वाले जल संकट से निपटने के लिए पेड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी है।

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