सफलता की चाह इंसान को सोने नहीं देती है। इस दुनिया में सभी लोग अपने-अपने में सफल होना चाहते हैं। लेकिन हमेशा आप सफल हो ऐसा जरुरी नहीं है। हमें जीत हासिल करने के लिए रिस्क भी लेनी पड़ती है, वो कहते हैं ना ‘ नो रिस्क, नो गेन‘ । मुंबई के उशिक महेश गाला की बी कहानी कुछ इसी तरह है। उन्होने अपने परिवार के डूबे हुए बिजनेस को फिर से उठाया और आज करोड़ों के मालिक बन गए हैं।
2006-2008 में मंदी के दौरान उशिक के पिता का कपड़ों का व्यवसाय बिल्कुल ठप हो गया। इस व्यापार में उन्हे इतना नुकसान हुआ कि उन्होने दोबार इस बिजनेस मॉडर को अपनाने का नहीं सोचा। लेकिन उशिक ने जब अपना कॉलेज खत्म कर इस बिजनेस में कदम तो उन्होने इसे उठाने का ठान लिया। हालांकि उशिक के पास खुद इस बिजनेस में निवेश के लिए पैसे नहीं थे लेकिन उन्होने हार नहीं मानी। उशीक का मानना था कि व्यापार में नए बिजनेस मॉडर की जरुरत है। इसी के साथ उन्होने रिस्क लेते हुए अपने व्यापार में 2 लाख रुपए का निवेश किया। इस बार उन्होने दुल्हन के पोसाक के साथ मार्केट में एंट्री करने की सोची।
उशीक ने मार्केट में सुमाया लाइफस्टाइल के नाम से अपने नए बिजनेस को लॉन्च किया। हालांकि उशीक को ये अंदाजा था कि मार्केट में दुल्हन के कपड़ों के साथ कई लोग हैं। लेकिन उन्होने फिर भी इस रिस्क को लिया और मार्केट में एक नए पहचान के साथ कदम रखा। उन्होंने बाजार का विश्लेषण करते हुए कहा कि अतीत में महिलाओं की सांस्कृतिक पोशाक और व्यवसाय महिलाओं के लिए अच्छा नहीं था क्योंकि बाजार नए क्षितिज पर उभर रहा था।
उशीक ने 2012 से 2014 तक सुमाया लाइपस्टाइल में दुल्हन के कपड़े बेचे। जिसके बाद उशीक ने इसमें बदलाव करते हुए नए ट्रेंड के मुताबिक महिलाओं के लिए आकस्मिक वस्त्रों पर स्विच किया। उशीक का ये कदम कापी भाग्यशाली रहा और उन्होने महज तीन से चार सालों में काफी मुनाफा कमाया। उनका कपड़ों को विदेशों में सप्लाई किया जाता है।
उशीक के इस कामयाबी पर पेरिस में उन्हे गारमेंट इंडस्ट्री अवार्डस में सबसे कम उम्र के सीईओ और जैन समुदाय में सबसे कम उम्र के अरबपतियों में नामित किया गया। बता दें उशिक जैन अंतरराष्ट्रीय संगठन के वैश्क निदेशक भी हैं।