मधुमक्खी से प्राप्त शहद का उपयोग मानव प्राचीनकाल से करता आ रहा हैं, शहद उच्च ऊर्जा युक्त खाद्य पदार्थ हैं। शहद में ग्लूकोज, फ्रक्टोज , सुक्रोज, खनिज लवण आदि उपस्थित होते हैं। इसका उपयोग मानव औषधियों तथा परिरक्षण के रूप में भी करता आया है। मधुमक्खी के छतें में रानी,नर व श्रमिक तीन प्रकार की मक्खियाँ होती हैं। रानी मक्खी को लम्बे उदर के कारण तथा नर को बड़ी बड़ी आँखों के कारण पहचाना जाता हैं।
मधुमक्खी और मानव जाती का परिचय
मधुमक्खी और मानव जाती का परिचय प्राचीन कल से ही माना जाता है। मधुमक्खी पालन मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लाभदायक है। इसमें हमें रोजगार के साथ मोम तथा उत्तम खाद्य पदार्थ शहद प्राप्त होता है। शहद का प्रयोग सभी त्योहारों, पूजाकर्मों एवं मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक आवश्यक बताया गया है। इसके आलावा इससे पेड़-पौधे के परागण से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।
विलुप्त हो रही मधुमक्खी
धीरे-धीरे मधुमक्खी भी विलुप्त के कगार पर है। जी हां वैज्ञानिकों और वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार मधुमक्खियां उन प्रजातियों की सूची में शामिल हो जायेंगी जो निकट भविष्य में विलुप्त होने के कगार पर हैं। इनका विलुप्त होने इंसानों के लिए हितकर नही है। अगर यह धरती से विलुप्त हो गईं तो यह खतरे की घंटी है।
मानव जाती के लिए खतरा
ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि 75% खाद्य फसलें जो हमारे द्वारा उपभोग किए गए बीज और फलों का उत्पादन करती हैं, मधुमक्खियों के कारण परागण द्वारा कम से कम आंशिक रूप से प्रभावित होती हैं इसलिए परागण की क्रिया में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। अतः सरकार को किसानों की मदद से मधुमक्खी पालन में विशेष ध्यान देना होगा।
जीवन में सामंजस्य जरूरी
इस धरती पर मनुष्य के जीवन को सुचारू रुप से चलने के लिए हर चीज में सामंजस्य बैठाने के लिए इन चीजों का होना बहुत ही आवश्यक है। जीवन तभी चल सकता है जब हर चीज में सामंजस्य हो। इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि मधुमक्खी पालन करें और इसके लिए लोगों को प्रेरित भी करें। मधुमक्खी पालन की मौजूदा समय में अत्यंत आवश्यकता है।